हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के गांव सेरला खाबू की रहने वाली डॉ. यशुमति के पिता मोरध्वज शास्त्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। फेज-1 में इंडस की लेडी डॉक्टर यशुमति की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को एक माह पांच दिन बीत चुके हैं। मगर अभी तक भी पुलिस मौत के कारणों से पर्दा नहीं उठा पाई है। वहीं मृतका के पिता हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के गांव सेरला खाबू निवासी मोरध्वज शास्त्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
इसमें उन्होंने 13 तर्क देते हुए बेटी की हत्या पूरी प्लानिंग से करने का शक जताया है। वहीं, उन्होंने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि मामला काफी गंभीर है। इसलिए सीबीआई जांच करवाई जाए। उन्होंने पत्र में कहा कि एक तरफ पीएम ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ मुहिम शुरू की है। दूसरी तरफ उनकी पढ़ी-लिखी बेटी की हत्या हो गई और उन्हें इंसाफ के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग को भी पत्र भेजा है। मोरध्वज ने बताया कि 8 जून को जैसे ही सूचना मिलने पर वह मोहाली पहुंचे थे तो सबसे पहले वह लेडी डॉक्टर नवप्रीत से मिले थे। इस दौरान उन्होंने उससे बेटी के बारे में पूछा। साथ ही कहा कि बेटी का मोबाइल भी नहीं चल रहा है, तो उसने बताया कि उसका फोन खराब हो चुका है।
उससे सारी कॉल डिटेल डिलीट कर दी गई थी। उसके बाद वह थाना फेज-1 में आ गए। उनके साथ डॉ. नवप्रीत और डॉ. प्रतिभा भी साथ में थाने पहुंचीं। इसके बाद वह थाने के एसएचओ के साथ फेज-1 स्थित यशुमति के घर पहुंचे। वहां कमरे का दरवाजा खुला पड़ा था। बेड पर साफ सुथरी चादर बिछी थी। फ्लूड से भरी सिरींज जरूर वहां देखी थी। मगर किसी भी तरह का कोई रैपर, खाली इंजेक्शन या फिर कोई टूटी हुई कांच नहीं देखी।
इसी बीच पुलिस कर्मियों ने सिरींज को हाथ में लिया और फ्लूड निकालने लगे। जब उन्होंने मौके पर पुलिसकर्मियों को कहा कि यह जांच का हिस्सा है ऐसे न करो तो उनका कहना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अंदर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मोरध्वज ने कहा कि जब उन्होंने वहां पर पूछा था कि उनकी बेटी को सबसे पहले किसने देखा।
तो उस समय डॉ. प्रतिभा ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहले यशुमति को देखा था। फिर उन्होंने उससे पूछा कि उसे कैसे पता चला कि बेटी की तबीयत खराब है, तो उसने गोलमोल जवाब दिया। साथ ही कहा कि उसने एनस्थीसिया का डॉक्टर रात को वहां भेजा था।
हिमाचल के सीएम ने दिया कार्रवाई का भरोसा- यशुमति के पिता ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले इसी मामले में हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने बेटी की मौत के बारे में बताया था। सीएम का उन्हें जवाब आया और कार्रवाई का भरोसा मिला था। दूसरी तरफ उन्होंने पंजाब के सीएम, केंद्रीय सेहत मंत्री, पंजाब के सेहत मंत्री, पंजाब व हिमाचल के डीजीपी, आईजीपी चंडीगढ़ समेत कई मंत्रियों को पत्र लिखकर इंसाफ की गुहार लगाई है।
इसमें उन्होंने 13 तर्क देते हुए बेटी की हत्या पूरी प्लानिंग से करने का शक जताया है। वहीं, उन्होंने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि मामला काफी गंभीर है। इसलिए सीबीआई जांच करवाई जाए। उन्होंने पत्र में कहा कि एक तरफ पीएम ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ मुहिम शुरू की है। दूसरी तरफ उनकी पढ़ी-लिखी बेटी की हत्या हो गई और उन्हें इंसाफ के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग को भी पत्र भेजा है। मोरध्वज ने बताया कि 8 जून को जैसे ही सूचना मिलने पर वह मोहाली पहुंचे थे तो सबसे पहले वह लेडी डॉक्टर नवप्रीत से मिले थे। इस दौरान उन्होंने उससे बेटी के बारे में पूछा। साथ ही कहा कि बेटी का मोबाइल भी नहीं चल रहा है, तो उसने बताया कि उसका फोन खराब हो चुका है।
उससे सारी कॉल डिटेल डिलीट कर दी गई थी। उसके बाद वह थाना फेज-1 में आ गए। उनके साथ डॉ. नवप्रीत और डॉ. प्रतिभा भी साथ में थाने पहुंचीं। इसके बाद वह थाने के एसएचओ के साथ फेज-1 स्थित यशुमति के घर पहुंचे। वहां कमरे का दरवाजा खुला पड़ा था। बेड पर साफ सुथरी चादर बिछी थी। फ्लूड से भरी सिरींज जरूर वहां देखी थी। मगर किसी भी तरह का कोई रैपर, खाली इंजेक्शन या फिर कोई टूटी हुई कांच नहीं देखी।
इसी बीच पुलिस कर्मियों ने सिरींज को हाथ में लिया और फ्लूड निकालने लगे। जब उन्होंने मौके पर पुलिसकर्मियों को कहा कि यह जांच का हिस्सा है ऐसे न करो तो उनका कहना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अंदर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मोरध्वज ने कहा कि जब उन्होंने वहां पर पूछा था कि उनकी बेटी को सबसे पहले किसने देखा।
तो उस समय डॉ. प्रतिभा ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहले यशुमति को देखा था। फिर उन्होंने उससे पूछा कि उसे कैसे पता चला कि बेटी की तबीयत खराब है, तो उसने गोलमोल जवाब दिया। साथ ही कहा कि उसने एनस्थीसिया का डॉक्टर रात को वहां भेजा था।
शास्त्री ने संदेह जताया कि उनकी बेटी को मारने के पूरे षड्यंत्र में पांच डॉक्टर शामिल हैं। उन्होंने मांग की है कि इनसे पूछताछ की जाए, ताकि सारी सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने कहा कि उन्हें संदेह है कि बेटी कोई राज जानती थी, जिसके चक्कर में उसकी हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी से किसी की कोई दुश्मनी नहीं है।
हिमाचल के सीएम ने दिया कार्रवाई का भरोसा- यशुमति के पिता ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले इसी मामले में हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने बेटी की मौत के बारे में बताया था। सीएम का उन्हें जवाब आया और कार्रवाई का भरोसा मिला था। दूसरी तरफ उन्होंने पंजाब के सीएम, केंद्रीय सेहत मंत्री, पंजाब के सेहत मंत्री, पंजाब व हिमाचल के डीजीपी, आईजीपी चंडीगढ़ समेत कई मंत्रियों को पत्र लिखकर इंसाफ की गुहार लगाई है।
1. कमरे का दरवाजा खुला होना व दरवाजे में कोई तोड़फोड़ न होना।
2. जांच के समय पुलिस द्वारा फोरेंसिक टीम को न बुलाना।
3. कमरे में किसी तरह का कोई सुसाइड नोट न मिलना और न ही कोई ऐसा चिन्ह मिलना जिससे लगे कि सुसाइड किया गया है।
4. बार-बार पुलिस को कहने पर भी बेटी की डेड बॉडी न दिखाना।
5. बयान लिखते समय पुलिस का यह कहना कि हमें किसी पर कोई शंका नहीं पोस्टमार्टम करवाकर डेड बॉडी हमें सौंप दें। जब उन्हें गया कहा कि यह वह कैसे कह सकते हैं, तो उल्टा धमकाना।
6. अस्पताल की तरफ से कोई संवेदना नहीं।
2. जांच के समय पुलिस द्वारा फोरेंसिक टीम को न बुलाना।
3. कमरे में किसी तरह का कोई सुसाइड नोट न मिलना और न ही कोई ऐसा चिन्ह मिलना जिससे लगे कि सुसाइड किया गया है।
4. बार-बार पुलिस को कहने पर भी बेटी की डेड बॉडी न दिखाना।
5. बयान लिखते समय पुलिस का यह कहना कि हमें किसी पर कोई शंका नहीं पोस्टमार्टम करवाकर डेड बॉडी हमें सौंप दें। जब उन्हें गया कहा कि यह वह कैसे कह सकते हैं, तो उल्टा धमकाना।
6. अस्पताल की तरफ से कोई संवेदना नहीं।
7. मौत के तीसरे दिन बेटी का शव दिखाना।
8. मशीन में 24 घंटे रखने पर भी शव के मुंह से खून निकलना।
9. शव के दोनों हाथ बंधे होना।
10. डॉ. प्रतिभा के मुताबिक एनस्थीसिया डॉक्टर का अकेले बेटी के आवास पर रात को जाना।
11. खरड़ के डॉक्टर द्वारा रात को अस्वस्थ हालत में बेटी को घर पर छोड़ना, अस्पताल न ले जाना।
12.अस्पताल ले जाते समय जो वस्त्र बेटी ने पहन रखे थे, उनको रास्ते में बदल देना।
13. बेटी को अस्पताल ले जाने के बाद अस्पताल की दो डॉक्टरों द्वारा आकर सारे सामान को ले जाना।
8. मशीन में 24 घंटे रखने पर भी शव के मुंह से खून निकलना।
9. शव के दोनों हाथ बंधे होना।
10. डॉ. प्रतिभा के मुताबिक एनस्थीसिया डॉक्टर का अकेले बेटी के आवास पर रात को जाना।
11. खरड़ के डॉक्टर द्वारा रात को अस्वस्थ हालत में बेटी को घर पर छोड़ना, अस्पताल न ले जाना।
12.अस्पताल ले जाते समय जो वस्त्र बेटी ने पहन रखे थे, उनको रास्ते में बदल देना।
13. बेटी को अस्पताल ले जाने के बाद अस्पताल की दो डॉक्टरों द्वारा आकर सारे सामान को ले जाना।
Source:- Amar Ujala CHD. Dated 23-08-2015.
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